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अवमाननाकर्ता वकील को जारी नोटिस निरस्त

*डीबी ने कार्रवाई की निरस्त

बिलासपुर * एक मामले में सुनवाई के दौरान सिंगल बेंच पर टिपण्णी करने वाले वकील ने उसी बेंच में हाजिर होकर,बिना शर्त माफ़ी मांगी  और भविष्य में भी ऐसा नहीं करने का वचन दिया, सिंगल बेंच ने इसे मंजूर कर माफ़ी प्रदान कर दी थी* आज इसी मामले को चीफ जस्टिस की डीबी ने अपने सामने पेश होने पर अवमाननाकर्ता को जारी नोटिस निरस्त कर वर्तमान कार्यवाही समाप्त कर दी *
अवमाननाकर्ता अधिवक्ता सेमसन सेमुअल मसीह गत दिवस जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की सिंगल बेंच में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए और एक हलफनामे के माध्यम से 3 जुलाई, 2025 को हुई घटना के संबंध में बिना शर्त माफ़ी मांगी, उच्च न्यायालय की गरिमा और संपूर्ण गरिमा को बनाए रखने का वचन भी दिया * जस्टिस पाण्डेय ने अपने आदेश में कहा कि, जब कोई गहरा आघात पहुँचाता है, तो क्रोध, आक्रोश और दुःख जैसी तीव्र भावनाओं का अनुभव होना स्वाभाविक है, जिससे क्षमा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है* क्षमा के लिए दर्दनाक यादों और कठिन भावनाओं का सामना करना आवश्यक है, लेकिन यह आंतरिक शक्ति और उदार हृदय का भी प्रतीक है* इसके साथ ही कोर्ट ने अवमानना करने वाले को तत्काल, बिना शर्त और बिना शर्त क्षमा, स्वीकार कर ली * इस आदेश की प्रति चीफ जस्टिस की डीबी को भेज दी थी *आज चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने डिवीजन बेंच में इस प्रकरण पर सुनवाई करते हुए कहा कि, अवमाननाकर्ता और उनके अधिवक्ता द्वारा दिए गए आश्वासन के मद्देनजर, वर्तमान कार्यवाही समाप्त की जाती है और अवमाननाकर्ता को जारी नोटिस निरस्त किया जाता है*

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अदालत की छवि धूमिल करते हैं ,अधिवक्ता के शब्द ; हाईकोर्ट
   0 नियमों और पेशेवर नैतिकता से भी बंधा हुआ है, अधिवक्ता
   0 एकलपीठ पर टिप्पणी करने पर, अधिवक्ता डीबी में तलब
बिलासपुर * हाईकोर्ट ने एकलपीठ के आदेश पर टिप्पणी करने वाले एक अधिवक्ता को अवमानना नोटिस जारी कर 18 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से हाईकोर्ट तलब किया है * चीफ जस्टिस की डीबी ने अपने सामने प्रस्तुत हुए इस मामले को गंभीरता से लिया है और विधिवत कार्रर्वाई करने का निश्चय किया है *
श्यामलाल मलिक बनाम ममता दास मामले में  जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की एकल पीठ द्वारा 3 जुलाई के आदेश में की गई टिप्पणी के आधार पर यह याचिका डीबी में पंजीकृत की गई* उक्त याचिका 3.जुलाई 2025 को एक विस्तृत आदेश द्वारा खारिज कर दी गई, हालाँकि, विद्वान एकल न्यायाधीश ने उक्त तिथि को एक और आदेश पारित किया 8 इसके अनुसार  सैमसन सैमुअल मसीह याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के रूप में , वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला, तथा प्रतिवादियों के अधिवक्ता वरुण वत्स की इस मामले में अंतिम दलीलें सुनीं गईं और आदेश का ‘ऑपरेटिव पैरा ‘ पारित कर मामला खारिज कर दिया* इस न्यायालय ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी कि, इससे पहले, पारिवारिक न्यायालय के अधिकार क्षेत्र की कमी का मुद्दा डब्ल्यू पी 227 संख्या 31/ 2024 में उठाया गया था और इसे दिनांक 8.अप्रैल .2024 के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया था *वह आदेश अंतिम बहस के दौरान इस न्यायालय के समक्ष रखा गया था* आदेश पारित होने के बाद, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता, सैमसन मसीह ने खुली अदालत में कहा, “मुझे पता था कि मुझे इस पीठ से न्याय नहीं मिलेगा।” ~यह कथन अवमाननापूर्ण प्रतीत होता है* इसे उचित आदेश के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया गया*इसके अनुसार गत 10 जुलाई को, प्रशासनिक पक्ष से मामला चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत किया गया और उन्होंने रजिस्ट्री को नियमों के अनुसार अवमानना याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया * तदनुसार, यह याचिका इस न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध की गई *
अधिवक्ता के लिए अनुचित
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस विभुदत्त गुरु की डीबी ने इस मामले में  सुनवाई करते हुए कहा कि, रिट याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे एडवोकेट सैमसन सैमुअल मसीह ने वर्तमान न्यायाधीश के विरुद्ध खुली अदालत में अपमानजनक टिप्पणी की है, जो एक ऐसे अधिवक्ता के लिए अनुचित है, जो न केवल अपने मुवक्किल के प्रति उत्तरदायी है, बल्कि न्यायालय का एक अधिकारी होने के नाते, नियमों और पेशेवर नैतिकता से भी उतना ही बंधा हुआ है* अधिवक्ता द्वारा कहे गए शब्द अस्वीकार्य हैं और न्यायालय की छवि को धूमिल करते हैं* डीबी ने कहा कि ,यह न्यायालय इस बात से संतुष्ट है कि प्रतिवादी/कथित अवमाननाकर्ता सैमसन मसीह को एक नोटिस जारी किया जाए कि इस उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए उनके विरुद्ध अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए* डीबी ने रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से नोटिस जारी कर आगामी 18 जुलाई को सुनवाई में अवमाननाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है*

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